बैकग्राउंड चेक
देखें कि आपके लिए इंटरनेट को और ज़्यादा सुरक्षित बनाने की दिशा में Google किस तरह काम कर रहा है
संरचना
Google की क्लाउड संरचना, दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे सुरक्षित क्लाउड संरचनाओं में से एक है. इसके डेटा केंद्र दुनिया भर में फैले हुए हैं और सबमरीन फ़ाइबर ऑप्टिक केबल की मदद से जुड़े हुए हैं. इस पूरे सिस्टम की हर समय ध्यान से निगरानी की जाती है.
Google Play Protect
Play Protect, मैलवेयर और वायरस का पता लगाने के लिए, हर दिन करीब 5,000 करोड़ Android ऐप्लिकेशन की जांच करता है. पहली जांच तब की जाती है, जब ऐप्लिकेशन बनाने वाली कोई कंपनी 'Google Play स्टोर' पर ऐप्लिकेशन अपलोड करती है. इसके अलावा, Google Play Protect तब भी जांच करता है, जब उपयोगकर्ता किसी ऐप्लिकेशन को डाउनलोड करना चाहते हैं या उसे अपने डिवाइस पर इस्तेमाल करते हैं. अगर यह सेवा नुकसान पहुंचा सकने वाले किसी ऐप्लिकेशन के बारे में पता लगाती है, तो Google, उपयोगकर्ता को ऐप्लिकेशन डाउनलोड न करने की चेतावनी देता है या ऐप्लिकेशन को अपने-आप हटा देता है. ज़्यादा जानने के लिए, android.com पर जाएं.
एन्क्रिप्ट (सुरक्षित) करने का तरीका
Google, Gmail से भेजे जाने वाले ईमेल और क्लाउड पर सेव किए जाने वाले उपयोगकर्ताओं के फ़ोटो को सुरक्षित रखने के लिए, एन्क्रिप्ट (सुरक्षित) करने के तरीकों का इस्तेमाल करता है. इनमें, एचटीटीपीएस और ट्रांसपोर्ट लेयर सिक्योरिटी जैसी टेक्नोलॉजी शामिल हैं. Google का सर्च इंजन मानक के तौर पर, एचटीटीपीएस प्रोटोकॉल का इस्तेमाल करता है.
डेटा से जुड़े अनुरोधों की जांच करना
Google, खुफिया विभाग या दूसरी सरकारी एजेंसियों को उपयोगकर्ता के डेटा का ऐक्सेस नहीं देता. यह नीति अमेरिका और जर्मनी की तरह ही दुनिया भर के बाकी देशों में लागू होती है. अगर कोई सरकारी विभाग किसी उपयोगकर्ता के डेटा को ऐक्सेस करने का अनुरोध करता है, तो Google पहले उस अनुरोध की जांच करता है और सही वजह न होने पर उस डेटा को ऐक्सेस करने की अनुमति नहीं देता. Google कई सालों से Transparency Reports प्रकाशित कर रहा है. इसमें डेटा के ऐक्सेस के लिए किए गए अनुरोधों की जानकारी भी शामिल है. इन रिपोर्ट को पढ़ने के लिए, transparencyreport.google.com पर जाएं.
सुरक्षित तरीके से इंटरनेट सर्फ़िंग करना
Google Safe Browsing टेक्नोलॉजी, उपयोगकर्ताओं को खतरनाक साइटों और नुकसान पहुंचाने वाले लोगों से सुरक्षित रखती है. इसमें मुख्य तौर पर एक डेटाबेस होता है, जिसमें संदिग्ध वेबसाइटों की जानकारी होती है. अगर कोई उपयोगकर्ता इनमें से किसी एक वेबसाइट पर जाने की कोशिश करता है, तो उसे चेतावनी मिलेगी. Google, फ़िशिंग के लिए बनाई गई नई रणनीतियों से निपटने के लिए, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस का भी इस्तेमाल करता है. इस बारे में ज़्यादा जानने के लिए, safebrowsing.google.com पर जाएं.
सुरक्षा से जुड़ी खामियों को कम करना
Google हर साल रिसर्च प्रोजेक्ट – और “गड़बड़ी का पता लगाने वाले कार्यक्रमों” पर करोड़ों डॉलर खर्च करता है. यह उन आईटी एक्सपर्ट के लिए इनाम होता है जो कंपनी को उसकी सुरक्षा से जुड़ी खामियों का पता लगाने में मदद करते हैं. उरुग्वे के 18 साल के ऐज़िक्वील परेरा एक ऐसे ही विशेषज्ञ हैं जिन्होंने इस तरह की खामियों को दूर करने में Google की मदद की है. सुरक्षा से जुड़ी एक अहम खामी ढूंढ निकालने और उसे दूर करने के लिए, उन्हें पिछले साल 36,337 डॉलर का इनाम मिला था.
Project Zero
Google की बेहतरीन सुरक्षा टीम दिन-रात काम में लगी रहती है, ताकि हैकर और डेटा चुराने वालों को सुरक्षा से जुड़ी किसी भी खामी की भनक लगने से पहले ही उसे ठीक कर लिया जाए. एक्सपर्ट इन खामियों को “zero-day जोखिम की संभावना” कहते हैं, इसलिए इस टीम का नाम Project Zero रखा गया है. यह टीम न सिर्फ़ Google की सेवाओं पर पूरी तरह से ध्यान देती है, बल्कि प्रतियोगी कंपनियों की सेवाओं की कमियों को भी ढूंढती है, ताकि उन्हें इन कमियों के बारे में बताया जा सके और वे भी अपने उपयोगकर्ताओं के डेटा को सुरक्षित रख सकें. Project Zero के काम के बारे में ज़्यादा जानने के लिए, googleprojectzero.blogspot.com पर जाएं.
आईटी की सुविधा देने वाली अन्य कंपनियों के लिए मददगार
Google अपनी सुरक्षा टेक्नोलॉजी को लगातार दूसरी कंपनियों को भी मुफ़्त में उपलब्ध कराता है, ताकि Google के दायरे से बाहर भी इंटरनेट को सुरक्षित रखा जा सके. उदाहरण के लिए, जोखिम की संभावनाओं को खोजने के लिए, दूसरी कंपनियों के डेवलपर, क्लाउड सुरक्षा स्कैनर का इस्तेमाल कर सकते हैं. साथ ही, Apple का Safari ब्राउज़र और Mozilla Firefox, Google की Safe Browsing टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं.
एआई (AI) की मदद से स्पैम की पहचान और उससे बचाव की सुविधा
Google, अपने Gmail उपयोगकर्ताओं को स्पैम से बचाने के लिए, मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करता है. न्यूरल नेटवर्क, करोड़ों अनचाहे और गैर ज़रूरी ईमेल का विश्लेषण करते हैं. साथ ही, उन पैटर्न की पहचान करते हैं जिनकी मदद से स्पैम का पता लगता है. यह तरीका कामयाब रहा है. अब, एक हज़ार स्पैम ईमेल में से न के बराबर स्पैम, उपयोगकर्ता के इनबॉक्स में जाते हैं – साथ ही, यह संख्या हर दिन कम हो रही है!
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किताब में मौजूद तस्वीरें: रॉबर्ट सेम्युअल हेंसन
सायबर सिक्योरिटी
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