एक ही जगह पर डेटा का पूरा कंट्रोल: Google खाता
स्टेफ़न मिक्लिट्ज़ और यान हैनमेन ने टूल बनाने के लिए सालों मेहनत की है. इन टूल से, उपयोगकर्ताओं को यह तय करने की सुविधा मिलती है कि उनकी कौनसी जानकारी Google सेव करे और कौनसी जानकारी उन ही तक सीमित रखी जाए
जब स्टेफ़न मिक्लिट्ज़ लोगों को बताते हैं कि वह Google के लिए काम करते हैं, तो अक्सर उनसे पूछा जाता है, "आपको इतना डेटा क्यों चाहिए होता है?" उनका जवाब होता है: "डेटा के ज़रिए, Google के प्रॉडक्ट को आपके लिए ज़्यादा मददगार बनाया जा सकता है — जैसे कि खोज के नतीजों को सही भाषा में दिखाना या घर पहुंचने के लिए सबसे कम समय लेने वाले रास्ते का सुझाव देना. हालांकि, मैं हमेशा लोगों को यह बात खास तौर पर बताता हूं कि आपके पास यह चुनने की सुविधा है कि Google आपका डेटा कैसे सेव करें और हमारे प्रॉडक्ट को आपके हिसाब से ढालने के लिए हम उस डेटा का इस्तेमाल करें या नहीं. आम तौर पर, लोग मेरी बात पर भरोसा करने के पहले, इसे खुद परखना चाहते हैं!"
"हम सेवा को उपयोगकर्ता के हिसाब से और लेआउट को इस्तेमाल करने में आसान बनाना चाहते थे."
यान हैनमेन
मिक्लिट्ज़, Google में 2007 से काम कर रहे हैं. वह म्यूनिख ऑफ़िस के शुरुआती सदस्यों में से एक थे. जल्द ही वे ऑनलाइन सुरक्षा और निजता से जुड़े विषयों पर अहम भूमिका में आ गए. साल 2010 से मिक्लिट्ज़, ऑनलाइन सुरक्षा और निजता को बेहतर बनाने के लिए, Google के कई अहम प्रॉडक्ट के ग्लोबल डेवलपमेंट में सबसे आगे रहकर अपना योगदान देते रहे हैं. उनका मानना है कि 2008 में इस विभाग का मुख्यालय जर्मनी में बनाने का Google का फ़ैसला, एक समझदारी भरा कदम था. मिक्लिट्ज़ याद करते हुए कहते हैं, "Google इस विभाग का मुख्यालय वहां बनाना चाहता था जहां निजता की बातें सबसे ज़्यादा गंभीरता से की जाती थीं."
तब से, काफ़ी कुछ बदल गया है. इसी कड़ी में सबसे अहम बदलाव था, 25 मई, 2018 को सामान्य डेटा से जुड़े सुरक्षा कानून (जीडीपीआर) को लागू किया जाना. जीडीपीआर, निजी डेटा के इस्तेमाल और स्टोरेज को कंट्रोल करता है. मिक्लिट्ज़ को वह पल आज भी याद है जब उन्होंने और उनके सहकर्मियों ने 2016 में पहली बार इस कानून को पढ़ा था. वह याद करते हुए कहते हैं, "यह साफ़ था कि हमने जो कंट्रोल और टूल बनाए हैं उनमें से कई जीडीपीआर के मुताबिक थे -- हालांकि, अब भी बहुत काम करना बाकी था." इसके बाद, वह मेरे साथ कॉन्फ़्रेंस रूम में आते हैं, जहां उनकी मुलाकात सहकर्मी यान हैनमेन से होती है.
Google ने डेटा की निजता को मैनेज करने वाला अपना पहला टूल, Google Dashboard, 2009 में लॉन्च किया था. इस टूल को बनाने का काम मिक्लिट्ज़ और उनकी टीम ने किया था. तब से अब तक, इसमें बहुत से नए फ़ंक्शन जोड़े जा चुके हैं. सबसे पहले 2013 में, उपयोगकर्ताओं को अपने Google खाते की डिजिटल लेगसी को मैनेज करने के लिए इनऐक्टिव अकाउंट मैनेजर की सुविधा दी गई. साल 2014 में, सुरक्षा जांच की सुविधा और 2015 में निजता जांच की सुविधा जोड़ी गई. ये नए टूल, डेटा की निजता और सुरक्षा सेटिंग में, कदम-दर-कदम आगे बढ़ने में मदद करते हैं.
साल 2015 में, 'मेरा खाता' को लॉन्च किया गया, जिसने Google की सभी सेवाओं को एक जगह इकट्ठा किया. पहली बार, उपयोगकर्ताओं के पास एक ही जगह पर डेटा का पूरा कंट्रोल था. इससे उन्हें यह देखने की सुविधा मिली कि Google उनका कौनसा निजी डेटा सेव कर रहा है. साथ ही, अब वे खुद तय कर सकते हैं कि वे किस जानकारी को मिटाना चाहते हैं. इसके अलावा, वे डेटा को सेव करने और ऑनलाइन गतिविधि को ट्रैक करने वाले फ़ंक्शन भी बंद कर सकते हैं. उपयोगकर्ता, लोगों के हिसाब से विज्ञापन दिखाने की सुविधा से ऑप्ट आउट भी कर सकते हैं. लॉन्च के बाद से अब तक, 'मेरा खाता' सेवा में मिलने वाली सुविधाएं लगातार बढ़ी हैं और बेहतर हुई हैं.
"हमारे लिए यह अहम है कि हर उपयोगकर्ता के पास यह चुनने की सुविधा हो कि उनसे जुड़ी कौनसी जानकारी Google सेव कर सकता है और कौनसी नहीं."
स्टेफ़न मिक्लिट्ज़
जून 2018 में, इस सेवा को नया रूप मिला और 'मेरा खाता' का नाम बदलकर Google खाता कर दिया गया. प्रॉडक्ट को फिर से लॉन्च करने की ज़िम्मेदारी स्टेफ़न मिक्लिट्ज़ के साथ-साथ प्रॉडक्ट मैनेजर यान हैनमेन की थी. हैनमेन ने कंप्यूटर साइंस में पीएचडी की है और 2013 से Google के म्यूनिख ऑफ़िस में काम कर रहे हैं. उन्होंने 'मेरा खाता' को बनाने में अहम भूमिका निभाई. 'Google खाता' की मौजूदा सफलता के पीछे भी हैनमेन का ही हाथ है. यही वजह है कि उनके सहकर्मी उन्हें “Mr. Google Account” के नाम से भी बुलाते हैं.
हैनमेन अपने स्मार्टफ़ोन पर, 'Google खाता' का नया डिज़ाइन समझाते हैं. “हम सेवा को उपयोगकर्ता के हिसाब से बनाना चाहते थे और चाहते थे कि लेआउट, इस्तेमाल करने में आसान हो – खास तौर पर, छोटी स्क्रीन वाले मोबाइल डिवाइसों का इस्तेमाल करने वाले उपयोगकर्ताओं के लिए.” स्टेफ़न मिक्लिट्ज़ अपने स्मार्टफ़ोन पर ऐप्लिकेशन खोलते हैं. वह समझाते हुए कहते हैं, "उदाहरण के लिए, जब मैं इस सेवा का इस्तेमाल करता हूं, तो सॉफ़्टवेयर मुझे सुरक्षा जांच करने का विकल्प देता है." "यहां मैं तुरंत देख सकता हूं कि मेरे Google खाते की सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए, Google का कोई सुझाव है या नहीं."
मिक्लिट्ज़ और हैनमेन, प्रॉडक्ट तैयार करने का ज़्यादातर काम Google Surveys की मदद से तैयार सर्वे के हिसाब से करते हैं. इनमें पता चला है कि दुनिया भर के लोग हर एक सेवा का इस्तेमाल कैसे करते हैं और इन सेवाओं के बारे में उनका नज़रिया क्या है. हैनमेन के मुताबिक, "अमेरिका के लोगों के मुकाबले – यूरोप के लोग – खास तौर पर जर्मनी के लोग – अपने निजी डेटा के इस्तेमाल को लेकर, किसी पर भी आसानी से भरोसा नहीं करते." "बेशक, इसका संबंध जर्मनी के इतिहास से है." हालांकि, सभी उपयोगकर्ता अपने डेटा को सेव करने की अनुमति देने से मना नहीं करते. हैनमेन कहते हैं, "कुछ लोगों को यह बात काफ़ी प्रैक्टिकल लगती है, जब उनका स्मार्टफ़ोन याद दिलाता है कि एयरपोर्ट जाने का समय हो गया है." "बहुत से लोग ऑटोकंप्लीट की सुविधा से काफ़ी खुश हैं. इसकी मदद से, सर्च इंजन खोज के लिए शब्द के बचे हुए हिस्से का अनुमान लगाता है. इन सुविधाओं के साथ-साथ दूसरी कई सुविधाएं भी सिर्फ़ तब काम करती हैं, जब लोग हमें अपना डेटा इस्तेमाल करने की अनुमति देते हैं, ताकि हम अपने प्रॉडक्ट को उनके मुताबिक ढाल सकें."
स्टेफ़न मिक्लिट्ज़ ज़ोर देते हुए कहते हैं कि जब बात निजता की हो, तो सभी के लिए एक जैसा एक समाधान नहीं हो सकता. कुछ हद तक इसकी वजह यह है कि हर एक का अपना अलग नज़रिया है और उपयोगकर्ताओं की ज़रूरतें समय के साथ बदलती रहती हैं. “हमारे लिए यह अहम है कि हर उपयोगकर्ता के पास यह चुनने की सुविधा हो कि उनसे जुड़ी कौनसी जानकारी Google सेव कर सकता है और कौनसी नहीं. ऐसा हो सके, इसके लिए हम लगातार अपने टूल को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं.”
फ़ोटोग्राफ़र: कॉनी मर्बेक
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